Friday, February 1, 2008

अध्या २

गाड़ी पहुँचल । सब मोसाफिर अपन चीज चढ़वे लगला औ अपने भी चढ़े लगला । नवाब साहेब के भी खानसामा चीज चढ़वे लगल । एकरे में एक डेवढ़ा गाड़ी में से कोई औरत सामलाल के सलाम कैलक और सामलाल बदली सलाम कैलका औ इसारे से बतला देलका के एही एसडीओ जा हथ । उ औरत तब दबक गेल, मगर नवाब साहेब एकरा देख लेलका बाकी अनदेख ऐसन करके गाड़ी पर सवार हो गेला । सामलाल भी वहे खाना में चढ़ला । गाड़ी खुलल तब नवाब साहेब गदिए पर अड़ल अड़ल बोलला (उर्दू में) - तोहरा उ सलाम कौन औरत कैलको ।
साम - उ बिहार के कसबी है । एक मरतबे दफा ६० के मोकदमा में हम ओकर काम कैलिए हल ।
नवाब - बड़ा पुलिस सब भी बदमासी करे हे । जहां कुछ उनकर बात ने मानलक और दफा ६० के रिपोट दाखिल ।
साम - नै एकरा में से बात नै हल ।
नवाब - की ?
साम - इ बात तो मोकदमा के हे । हमरा जरा बड़ा कैसन तो कहे में मालूम होवे हे ।
नवाब - तूं बेखोफ र-ह । हमरा चलते तोहर नोकसानी कोए नै कर सको हो । तूं बड़ी अच्छा साफ दिल आदमी ह और हम ऐसने आदमी के पसन्द क-र ही ।
साम लाल - अब जे हुजुर क-र, हम तो हुजुर के हाथ में अपन जान देले ही ।
नवाब - तूं बेखौफ र-ह ।
साम - नसीवन एकर नाम हे और अभी एकर खुल्लम खुल्ली नथुनी ने उतरल हे । बाबू हलधर सिंघ वहां सिकिन अफसर हथ से एकरा कैसुं एक मरतबे देख लेलका औ केतनो बोलाथिन तो नै जाइन । तब उनकर दोस्त पहिले एक नितनेस्वर बाबू निस्पीटर हला उनके कहलका और तब पुलिस एकरा पर दफा ६० चलौलक और कोए कोए तरह से मोकदमा उनके इजलास में गेल । हमरा इ जानके के सिकिन अफसर इनकर दोस्त हथ मोखतार रखलक और हम कोई सूरत से रेहाए करा देलिऐ ।
नवाब - ओह ! (बड़ी खोस होके और उठके बैठके) तब तो तुं एकदम लाजवाब आदमी ह । हम तो समझलूं हल के एते दूर के सफर बड़ा सुखल साखल होत । तूं खोदा के देल मिल गेला ।
साम - नै हुजुर, हम कौन काबिल ही ।
नवाब साहेब हाथ बढ़ैलका और सामलाल भी अपन हाथ बढ़ा देलका । नवाब साहेब उनकर हाथ पकड़ के - तूं हमर दोस्त अपना के सम-झ ।
साम लाल - जैसन हुजुर के खाबिन्दी । हम तो हुजुर के थूक के बराबर नै ही ।
नवाब साहेब - तो एक बात, अगर बेअदवी माफ क-र ।
साम लाल - हमरा हुजुर बड़ी लज-ब ही ।
नवाब - जरा दे-ख न, नसीवन के एहीं बुला-ब, रास्ता में गप चलत । बाकी ओकरा से कहि-ह मत के हम एस-डी-ओ ही ।
साम - (दुगमुगा के) अच्छा, तो अबरी टीसन में । बाकी कोई आदमी सेकिन अफसर के रहल तब ?
नवाब - समझलुं (कुछ सुस्त होके) सेकिन अफसर के ताबे में हे ?
साम - नै, ताबे में की रहत, फिर तो रंडिए हे । बाकी हां, जरा परदा से कोई बात होवे हे और अभी (चपस के) एकदम नवेली हे ।
नवाब साहेब - तों एकदम बेताव हो गेला । अब ढेर मोसकिल मत क-र, जल्दी जा ।
साम - गाड़ी ठहरे तब न हुजुर ।
मोकामा में गाड़ी ठहरल और साम लाल उतरके डेवढ़ा में गेला और नसीबन के चलैलका बाकी नखड़ा करे लगल और बोले लगल के हलधर बाबू सुनता तो जान से मार देता । साम लाल बड़ी ओकरा दिलासा देलका और किरिआ खैलका बाकी उ नै उतरल । मजबूरी उ नवाब साहब के पास ऐला । नवाब साहेब खखन्द से डेवढ़ा के पास उतर के टहल रहला हल । इ-सव सुनके उ तुरते दस रुपया के नोट देलका और कहलका के द जाके और नै माने तो कुछ आखिर में भू-भड़क भी देखलइ-ह ।
कोए सूरत से नसीबन के साम लाल फस्ट किलास में ले ऐला । नवाब साहेब ओकरा डेवढ़ा से उतरते देख झट से अपन खाना में चढ़ गेला और गद्दी में अड़के एखबार देखे लगला । नसीबन जब आल तो गम्हीरता से एखबार रख देलका और बोलला - "बै-ठ बी-जान ।" पंखा ऊपर के खोल देलका और रास्ता भर गप-सप चकल्लस करते चलला । गाड़ी अदलते बदलते जब दू-तीन टीसन बिहार पहुंचे के रहल तो नसीबन के अपन खाना में चला देलका ।

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