Friday, February 1, 2008

अध्या १

बिहार सरीफ में बाबू सामलाल बड़ा मोखतार हला बाकी इ बड़ा बहुत नीचता के बाद होला हल । पहिले इ बड़ी गरीब हला । बाबूजी गाड़ीवानी क-र हलथिन, और इनकर फुफा, गुरुऐ क-र हलथिन और उहे इनका मिडिल पास करैलथिन । पीछ इ बिहार में एक मोखतार के यहां रसोईगिरी करके मुखतारकारी के इमतिहान देलका और इ तीन लोघड़नियां के बाद पास कर गेला। आदमी होसियार हला और धुरफंदी । कुछ ऊंच-नीच तरीका से मोखतारकारी चला लेलका । महल पर एक गरीब कायथ के कुछ रुपया करजा देलका हल, सूद मूर लगाके ओकरा से मकान लिखा लेलक और थोड़े दिन में दुमहला मकान आलीसान बनैलका । ओहे कायथ सुगनलाल फेर रसोइआ के काम करे लगलैन । ऐसे तो करीब-करीब सभे सरकारी काम करे वाला थोड़े बहुत खोसामदी होवे क-र हथ । इ तो मुसलमानी वादसाहत और हिन्दुस्तान के गुलाम के फल हे । बाकी इनका में एकर मातरा कुछ जादे हल और हाकिम वगैरह के खूब खोस एकरे से र-ख हला । बाकी ऐसन काम में बगैर चुगलखोरी के बढ़ती नै होवे हे एकरे से सहर के रईस इनका से कुछ कौंचल र-ह हला । सन् १३२९ फ॰ के चैत में मोलवी मोजफ्फर नवाब एस-डी-ओ मानभूम से बदल के ऐला और हलधर सिंघ सब-डिपटी एक बरस कवले से हला । एने कुछ दिन से साम लाल के जनून राय बहादुर होवे के चढ़ गेल हल । एकर काबिल तो उ जा-न हला के हम नै ही बाकी अपन धुरताई पर उनका भरोसा हल । आवे के जहिना खबर हल सामलाल किउल स्टेसन एक रोज पहले तेकरा से पहुँच गेला और केलनर के हिआं चाय पानी के बन्दोबस्त कर देलका और सात बजे सांझ के जब नाब साहेब गाड़ी से उतरला के बखतिआरपुर के गाड़ी में सवार होवथ पहुंच के आदाब बन्दगी कैलका और अपन निसान पता बतैलका और बोलला के पच्छिम के गाड़ी आवे में अभी देर हे, जबतक चलके नास्ता पानी कर लेल जाए । नवाब साहेब बोलला के अभी खाहिस नै हे । तब ई बड़ी आरजु मिनती कैलका के कल्ह से हम हजुर एहां ऐलूं ह और इन्तजाम कैलूं ह । नवाब साहेब भीतरे भीतर तो कुछ अजब ऐसन समझथ मगर रईस घरैना के रहला के वजह से रूख से बात नै कर सकथ । बोलला (उर्दू में) -
अखने माफ क-र ।
साम - नै हजुर ।
नवाब - बैठले तबीयत परेसान हो गेल हे, खैलूं हे से पचल नै ऐसन बुझा हे।
साम - (एने ओने देखके औ तब जरिसे पैर छूखे) हमरा पर खाबिन्दी कैल जाए ।
नवाब सहेब के ढेर खोसामदी से भेंट होल हल बाकी ऐसन खाहमखाह तो कोई नै मालूम भेल । आखिर में समझलक के इ नै मानत, एते दूर से आल हे । एकरा नाराज करना भी आदमियत से बाहर समझ कर बोलला (उर्दू में) - च-ल ।
आखिर केलनर के कमरा में दुनु गेला और खिदमतगार गैरह के चीजबस्त देखते रहे कह देलका । खानसामा तीन-चार टुकड़ा बिसकुट और चाय औ अण्डा गैरह हिसाब से ला-ला के नवाब साहेब के भीरी रखे लगल और मोखतार साहेब टेबुल के दूसर तरफ बैठला । नवाब साहेब बोलला (दर्दू में) - अपने के भी लाके द ।
खानसामा - जे हुकुम । मोखतार साहेब चट से हाथ जोड़ के बोलला - (उर्दू में) - माफ कैल जाए । खानसामा थथम गेल ।
नवाब - नै, ई तो तब किरकिरा हो जात ।
साम - नै, हम बीसनो ही ।
नवाब - ओह, बीसनो असल दिल से होवे चाही ।
साम - नै हुजुर, बड़ा मोसकिल है ।
नवाब - अच्छा, कुछ फल-वल लाके दे भाई । औ हिन्दू चाय वाले को बुला लाओ ।
साम - जी हां । खानसामा तब जाके कुछ केला वो केवला ले आल और हिन्दू चाय वाला के बोला के दू प्याला चाय अलग दूसर टेबुल पर रखलक और केवाड़ी लगैते चल गेल ।
खैते-खैते नवाब साहेब पुछलका - क-ह बिहार कैसन जगह हे ?
साम - बहुत पुरान जगह औ बहुत अच्छा जगह है ।
नवाब - मोखतार सब ?
साम - अच्छा हथ ।
नवाब - वकीलो र-ह हथ ?
साम - जी हाँ ।
नवाब - वकील सब और मोखतार सब में बनाओ हे ?
साम - हे, बाकी मोखतार सब के आपसे में बिगाड़ जा हे ।
नवाब - काहे ?
साम - एहे हसद ।
नवाब - से की ?
साम - अब जैसे हमरे से सब खार खा हथ । हमर किला ऐसनमकान हे, सब के इ अच्छा न लगे । हमरा दस पांच हजार बैंक में हे, सब चा-ह हथ कि उनको रहत हल । हाकिम सब जैसे हमरे मा-न हथ, एहे सबसे ।
नवाब - अनेरी मजिस्टर सब ?
साम - हथ ।
नवाब - उ सब कैसन हथ ?
साम - सब जैसन और जगह र-ह हथ ।
नवाब - से की ?
साम - अब उ सब हाकिम हका, उ सब के बात हमरा से की पुछल जा हे ।
नवाब - तु ऐसन खेयाल मत क-र । हमरा वजह से तोहरा कुछ नोकसान नै हो सको हो । बो-ल ।
साम - अब हुजुर कह-ह तो हम की बतलाउं । दु-तीन के छोड़ के औ सब बड़ी रुसबत ले हथ । पेसा खड़ा कर लेलका हे ।
नवाब - सब कैसन आदमी हथ, जीमींदार तो ?
साम - पढ़ल-लिखल ग्रैजुएट के तो ठेकाने नै औ इ-सब थोड़े बहुत पढ़ल सब जे बराबर जीमींदारी में दस रुपया एकरा से लेलका तो एकर ऐसन इनसाफ, पांच रुपया ओकरा से बेसी सलामी मिल गेल तो ओकरे ऐसन इनसाफ । ऐसन सिलसिला के खेयाल वाला के हजारों दस हजार के हैसियत वाला के इज्जत के मोकदमा फैसला करे ले मिले हे, तो सौ-पचास कभी चढ़ावा कभी नगद अगर उ सब में केकरो के आमद हो जा हे तो कौन मना ।
नवाब - तो एसडीओ गैरह एकरा नै जा-न हथ ?
साम - जा-न होता कैसे ने ?
नवाब - तब काहे उ सब के मोकदमा दे हथ और रहे दे हथ ?
साम - एक मरतबे गुड़ीआर साहब ऐला हल तो एकदम बंदे मोकदमा देना कर देलका हल । फेर सब बड़ा खोसामद उसामद कैलका । छोटा मोटा मोकदमा भेजल जाए लगल । उ गेला तो फेर ओही बात ।
नवाब - बहुत खराब हे न तब । पुलिस औ अमला में रूसवत जुलुम हइये हे अब हाकिमो ई बात, तो सलतनत के जड़ में दीयां समझे के चाही ।
साम - हम नइ कह स-कही ।
नवाब - हां अं-अं । चाय खतम करके और रूमाल से मुँह पोछ के बाहर निकलला और नौकर के बिल देख के चुकती करेला कहलका ।
साम लाल बोलला - नै, एकर जरूरत नै हे । ओकरा सब देल हे । ओकर बाद पलाट फारम पर टहल-टहल के बात करे लगला ।
नवाब साहेब - (उर्दू में) - सु-न, हमरा बड़ी दुख होल एहां के हाल सुन के ।
सामलाल - हुजुर, हमर सब दोस्त हका, उखनी पर ऐसन-ने के कोय सखती होवे ।
नवाब - नै, हम केकरो बुराई ने क-र ही । सु-न, हम बादसाही खानदान के ही ।
साम - जी हाँ ।
नवाब - वाजदली साह मरहूम हमर नजीकी मुरीस ।
साम - जी हां ।
नवाब - हमर परनाना उनकर अपन मौसेरा छरनाती ।
सामलाल - ओ, (बे समझे बोलला, कुछ समझलका तो नई बाकी तरे तरे मुसकला, ऊपर से एकदम गम्हीर रहला) ।
नवाब - कखनो कखनो हमरो खून उबल उठे हे । जौन बेईमानी से वादसाहत लेल गेल हे; तुरकी के साथ बेइमानी, फेर अरब में हमनी सब कमजोर आदमी, बाकी खुदा तो जरूर देखत ।
सामलाल - जी हां ।
गाड़ी आवे के वेला हो गेल । मोसाफिर सब दूसर पलाट-फारम पर अपन चीज वस्त ले जाए लगला । इ भी अपन नौकर के सब चीज लगे के नजीक ले जाइले कहलका ।

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