Friday, February 1, 2008

अध्या ७

मामला तूल खींच गेल । सरकार से हुकुम भेल के दुनु अफसर के बारे में जांच कैल जाय औ बराडवे साहेब कमिसनर एकरा ले तैनात कैल गेला । राम किसुन सिंघ जे हलधर सिंघ के ममेरा साला हो-व हला और जिनखा पर हलधर बाबू के बड़ी बरोसा र-ह हल उनखा नवाब साहेब सेकरेटरीअट में अपन रिसतेमंद से कहसुन के सब-रजिस्ट्रार बहाल करा देवे के लालच देके अपना दने मिला लेलका ओ कुल कागज-उगज जे इ मामला में नवाब साहेब के खिलाफ इया बाबू हलधर सिंघ के हसबखाह हल निकलवा लेलका औ एक दू रईस के औ राम किसुन सिंघ औ सामलाल के गवाह खड़ा करके झूठझूठ रूसबत लेवे के इलजाम बाबू हलधर सिंघ पर साबित करैलका और अपने निकल गेला । नवाब साहेब के मदद में एक और मोखतार सरीक हो गेला हल, उनकर नाम हल बुलाकी खां । बाबू हलधर सिंघ डिसमिस हो गेला । जाए घड़ी बड़ा अफसोस में हला, राम किसुन के देख-व । सामलाल निरबंस रह-ब और पिल्लू-पड़के मर-ब और नवाब साहेब औ बुलाकी खां के भी ऐसने कुछ सराप देलका । हलधर सिंघ अपने तो खराब चाल चलन के जरूर हला बाकी बे-कसूरी में एते भारी सजाए पावे से उनकर खेआल दिल से परमेस्वर दने होल और एहे वजह हल कि करीब करीब अछरसह उनकर सराप तीने चार बरिस में सबके हाथे हाथ पड़ल । बाकी इ बहुत दिन के बात हे । जब माघ में बाबू हलधर सिंघ बरखास्त होके बिहार से चल गेला तो नवाब साहेब बाग-बाग हो गेला और सामलाल और बुलाकी खाँ के चलती के कोए बात न रहल । बुलाकी खाँ बाकी चाल चलन में याने रंडी सराब से एकदम अलग र-ह हला और एहे से नवाब साहेब जादे इ सब के बात बहुत में सामलाल के बराबर बोलावथ । सामलाल अपन राय बहादुरी वास्ते बहुत गिरगिराथ के हुजुर अब तो हम सब काम कैलूं, कोए काम ऐसन नै जे हुजुर के वास्ते हम करे से इनकार कैलूं और अखनो नै क-र ही । दे-ख, सहर के बदमास सब अब परचा हमरे तरफ इसारा करके छपवैलका ह ।
नवाब साहेब - कौन परचा ?
सामलाल - दे-ख ने (नवाब साहेब के एकठो छपल परचा देके) ।
नवाब साहेब - वाह रे ! की हे खोसामद .... .... .... हमरा नै पढ़ल जाओ, नागरी में हे, जरी तुहीं प-ढ़ तो ।

सामलाल - (पढ़े लगला) खां बहादुरी जनून के नुसखा -
       चुगलखोरी        -    ४।।० मासा
       सुदेस द्रोहिता   -      १।०       "
       बेइमानी           -    २।।०    "
                  -----------------------------
                                 ८।०       "
       खुसामद           -   ८।०      "

ई सब के अंग्रेजी विद्या फरोस के यहाँ से खरीद के सिआह सुर्ख मुफ्तख्वार के कुइआँ से आबे - कमिनपनई में खूब पीस के पी जाए ! कुछ दिनफायदा नै होए तो माजूने भँड़ुअइ के साथ इस्तेमाल कैला से जरूर आराम होत ।

नवाब साहेब - (मुसकुरा के) बहुत बदमासी कैलक हे । तुं नालिस क-र, हम सब के देखबे ।
सामलाल - मोसकिल तो इ हे के एकरा में छपवइया, लिखवइया, छापाखाना - इ सब के केकरो नाम हइए-नै हे औ नै पते लगे हे और दूसर बात ई के मोकदमा में और बेइजती सब करता ।
नवाब साहेब - हम पुलिस में देही, उ सब पता लगवत ?
सामलाल - नै, इ सब के जरूरत नै हे । हमरा सब जादे एहे ताना मा-र हथ के गजट निकललो मोखतार साहेब ? और हुजुर से एकर खाबिन्दी नै होबे हे । अबरी पहली जनवरी के चार मरतबे गजट पढ़लूँ, कहीं हमर नाम के पते नै ।
नवाब साहेब - जरी सहरपतिया के फेर हमरा से भेंट करा द तो अब कसम खाके क-ह हीओ जरूर हो जैतो ।
सामलाल - अरे खोदा ! उ दिन रात के जे हुजुर नीसा में सूतल में ओकरा साथे जाके सुतला तो बिहान होके फेर हमरा तेरहो नीनान कैलक । पन्दरह दिन तक तो आना जाना बन्द कर देलक और फिर नाक दररते दररते हमरा मोसकिल हो गेल ।
नवाब साहेब - तो फिर वोही तरकीब । अबरी हम ओकरा सुतले में चल आम । तबरी गलती हो गेल, हम सुतले रह गेलूं ।
सामलाल - तो हम हुजुर के नाखोस नै कर स-क ही, बाकी अबरी हमरा पक्का खबर राय बहादुरी के मंगा देल जाए; ऐसे नसीबन तो ऐबे-जैबे करे हे ।


*

No comments: